मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

INTRODUCTION OF SATRANGIN KAVITAREN



डॉ नीरा रस्तोगी --MA .PHD in ECONOMICS ,PROF in college ..कॉलेज में पढ़ाने और सयुंक्त परिवार के कारण समय कैसे पंख लगा के उड़ गया पता ही नहीं चला 
 हिंदी हमारी राष्टभाषा और मातृभाषा होने के कारण मेरा बचपन से इस के प्रति बहुत अनुराग था
संस्कृत और हिंदी भाषा मे स्नातक होने के कारण महान कवियों का साहित्य पढ़ने का भी सौभाग्य मिला
उस समय अनेक कवितायेँ कठस्थ कर ली थी जो आज भी याद 
    तब मैंने अपने बच्चो को  छोटी छोटी कविता हिंदी में बना कर सिखाई थी बच्चो के मुख  से   सुनने में बहुत आनंद आया था। तब मैंने सोच लिया था की मै बालकविता लिखूँगी
DR NEERA RASTOGI..M.A .PHD इकोनॉमिक्स    कॉलेज में पढ़ाने के कारण समय पंख लगा कर उड़ गया
अब रिटायर्ड होने के बाद जब अवकाश मिला तो अपनी लेखनी जाग्रत हो गयी।


छोटे छोटे बच्चे  हिंदी में कविता सुने ,सुनाये और गाये यह मेरा सपना है।मेरी किताब
सतरंगी कवितायेँ अतरंगी खेल में मैंने उन सभी विषयो पर लिखा है जो बच्चो की जिंदगी से जुड़ा है। सरल भाषा ,गीतात्मक ,लयबद्ध कविता जब बच्चा  अभिनय करके सुनाता है तो हम बड़े लोगो का मन भी थिरक जाता है ह्रदय आनंदमय हो जाता है।
    सतरंगी कविताएँ बच्चो को भारतीय सभ्यता ,संस्कृति खेल खेल में ही सब सिखा देती है
सहज सरल तरीके से वह अपने रीति रिवाजो से जुड़ जाते है
ज़ैसे --

नानी ओ नानी
सुनाओ हमे कोई कहानी
वह राजा रानी जिसे सुनकर
आ जाये नींद सुहानी सुहानी
गाओ लोरी अपनी जुबानी
नानी ओ नानी।

होली आई होली आई   
सब है भाई भाई
तुम ना करो कोई  लड़ाई
आओ तुम्हे रंग लगाये
और खूब शोर मचाये
होली आई होली आई

ऐसी सरल कवितायेँ घर के सभी सदस्य आसानी से खुद भी याद कर लेते है और बच्चो को भी अभिनय के साथ गाना सीखा देते है
वैसे भी हिंदी राष्ट्र भाषा होने के कारण हमारा दायित्व बढ़ जाता है कि हम उन्हें रोज बोलने वाली भाषा की
गरिमा ,सुंदरता ,और शब्दावली से अवगत कराये।

सतरंगी कविता अतरंगी खेल हमारी दिनचर्या से जुडी है गणेश ,चींटी तितली ,गुब्बारे आदि सभी ऐसी कविता है जिन्हे हम रोज देखते है। यह अपनापन ,दुलार ,अनुराग हमे
अंग्रेजी कविताओ से कैसे मिल सकता है.
अतरंगी खेल में बहुत सारे खेल और चित्र बने है जिन्हे बच्चे खुद बनाये ,रंग भरे,आकर दे। कविता पर
अभिनय करे ,गा गा  कर सुनाये और नाचे उनके आनंद की कोई सीमा नहीं है। यह पुस्तक बच्चो
के लिए ,बच्चो को समर्पित है आओ उनकी कल्पना शक्ति में पंख लगाकर उन्हें उड़ने दे।
मै आभारी हूँ अपने पति ,सहयोगी अम्बुज जी की जिन्होंने हर कदम पर मुझे प्रोत्साहन दिया 
दोनों बच्चे प्रतीक पायल और बहू रानी राजश्री बहन जयश्री जिन्होंने कंप्यूटर पर ब्लॉग बनाना  सिखाया 
 जिससे मै E BOOK  बनाकर AMAZON KINDLE  पर प्रकाशित कर पाई.मेरा आभार और प्यार अपने सभी 
मायके और ससुराल के सम्बंदियो और दोस्तों का जिन्हे मै FACEBOOK पर बार बार अपनी रचनाभेज कर उनका अनुमोदन पाती रही आपसे अनुरोध है ऐसे ही अपने प्यार क वर्षा मुझ पर करते रहना  


 




 




नम    को